शरीर के प्रकार

शरीर तीन प्रकार का होता है। सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर , मायावी शरीर। आपने सूक्ष्म शरीर के बारे में सुना होगा। सूक्ष्म शरीर यानी आत्मा इसकी गहराईयों में जाने में इसके कई प्रकार और मिलते हैं। मन,प्राण,चेतना इत्यादि इसमे शामिल होते हैं। कारण शरीर जिसमें आपके हाथ पैर नाक कान इत्यादि आतें हैं। जिसके अस्वथय होने पर आपको डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है। एक स्वस्थ जीवन शैली अपना कर आप इसको स्वस्थ रख सकते हैं।तीसरा प्रकार होता है मायावी शरीर का। मायावी शरीर वो होता है जिस रूप में आपको दुनिया देखती है। आपकी वाह्य अवस्था। आपका पद,आपका रूप रंग इत्यादि .ये सब चीजें आपके मायावी शरीर के अंतर्गत आती हैं। आप किसी के पिता हो सकते हैं आप किसी के पति हो सकते हैं,ऐसे हजारों रूप आपके होते हैं । हर रूप के व्यक्ति के लिए आपकी अलग अलग छवि हो सकती है। व्यक्ति अपनी मूल भूत छवियों से अलग हटकर जीवन भर अपनी मायावी छवि को संतुष्ट करने में लगा रहता है। और यही मुख्या वजह है किसी भी व्यक्ति के परेशान होने की। आप कभी इस बात का जश्न नही मानते की आपने आज एक दिन और स्वस्थ गुजारा। आप अपनी नयी गाड़ी का जश्न मनाते हैं, आप आपने प्रमोशन का जश्न मनाते हैं।आपके लिए पद प्रतिष्ठा धन इत्यादि चीजों का अत्यधिक महत्त्व होता है। और इन चीजों के चले जाने पर आप उतना ही दुखी होतें है। पर निश्चय ही ये चीजें सिर्फ़ आपके मायावी शरीर को सुख पहुँचा सकतीं हैं। आपके सारे सुखों की उत्पात्ति क्रमश इन्ही शरीरों के स्वस्थ होने पर होती है। मायावी शरीर के सुख आपको छनिक सुख देंगे और जीवन भर आप इनके पीछे भागते रहेंगे। कारण शरीर आपको सिर्फ़ इसी जीवन का सुख देगा। जबकि सूचम शरीर आपको कभी न ख़त्म होने वाला आनंद देता है। इस सारे सुखों की मह्ह्त्ता उल्टे क्रम में शुरू होती है। अर्थात यदि आप का सुक्छ्म शरीर बीमार है तो आगे के सारे सुख, कारण शरीर के सुख और मायावी शरीर के सुख आपके लिए बेकार है। यदि कारण शरीर बेकार है तो सारे मायावी सुख बेकार है। इसको थोड़ा और विस्तृत करके बतातें है की यदि आपको तीव्र ज्वर है तो आप को स्वादिष्ट भोजन अच्छा नही लगेगा,आपको बड़े बड़े महल नही अच्छे लगेंगे। क्योंकि कारण शरीर दुखी है। ठीक इसी प्रकार जब आपकी अंतरात्मा दुखी होती है तो आपको ये जीवन अच्छा नही लगता है। अब इसी बात को उल्टे तरीके से कहें तो यही से सुखों का मार्ग मिलने लगता है......आप सर्वप्रथम अपने मन को खुश करें फ़िर शरीर को मायावी सुख तो अपने आप मिल जायेंगें। रेगिस्तान में जल का आभास होने पर हिरन किस प्रकार उसके पीछे व्याकुल हो कर भागता है। और फ़िर थक कर अपनी जान दे देता है। यदि उसे मृगतृष्णा का ज्ञान होता तो शायद इतना व्यथित होकर न मरता। जब भी आपको माया का ज्ञान हो जाए उसके पीछे भागिए जरूर लेकिन उसकी सच्चायी को जानते हुए। की इतनी मेहनत से पायी हुई मायावी चीजें चानिक सुख ही दे सकती हैं। जीवन अनमोल है और हर चन बदल रहा है किसी भी परेशानी के चन में आप महसूस कीजिये की आप एक स्वस्थ शरीर के मालिक हैं। और उस शरीर के खो जाने पर भी आप एक स्वस्थ आत्मा के मालिक हैं। अकबर सिकंदर से आप से ज्यादा दौड़ लगायी थी जिंदगी को पाने के लिए मगर अंत में वही एक आत्मा ले कर गए जो वो लेकर आए थे। खुशियाँ बिखरी पड़ी हैं जरूरत है महसूस करने की। अपने सबसे परेशानी के पल में आप किसी पेड़ भरे बाग़ में खड़े हो कर देखिये और उन्ही पलों में एक मर्सिडीज के बगल में खड़े हो के देखिये॥ कहाँ आपको सुकून मिलेगा निशचाई ही बाग़ में....कारण है उसका पेड़ में जीवन है पानी में जीवन है हवा में जीवन है, और जीवन ही जीवन का कष्ट समझ सकता है। ये नोटों के ,ये गाडियां ये ,बंगले कभी आपके कष्ट को नही समझ सकते और जो आपके कष्ट को समझ नही सकता वो आपको खुशी कैसे पहुँचा रहा है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

TIME TRAVEL

प्रकाश और विचार