चयन की स्वतंत्रता

चयन की स्वतंत्रता
आप भले ही न माने की हम सब आपस में इंटर कनेक्टेड हैं लेकिन विज्ञानं ये मान चुका है। जी हाँ । ये हम सब जानते हैं की प्रत्येक अणू के मूलभूत परमाणु आपस में जोड़े में होते हैं। जो आपस में एक दूसरे के विपरीत अपने अक्ष गति कर रहे होते हैं यानि यदि एक +१/२ दिशा में गति कर रहा है तो दूसरा -१/२ दिशा में गति कर रहा होगा। अब वैज्ञानिको ने उपकरणों की मदद से उन दोनों को अलग अलग कर दिया और उन दोनों को लाखों किलो मीटर दूर कर दिया फ़िर किस प्रकार से उन्होंने एक मूलभूत परमाणु की गति बदल दी यानि जो +१/२ दिशा में गति कर रहा था उसको -१/२ दिशा में गति करवानी शुरू कर दी। उन्होंने एक चमत्कारिक परिणाम देखा की दूसरे मूलभूत परमाणु ने जो उनके कक्ष से काफ़ी दूर था उसने स्वत अपने अक्ष पर अपनी गति बदल दी। ये अभी ज्ञात नही हो पाया है की इतनी दूर उस दूसरे परमाणु को कैसे पता चला की मेरे जोडीदार ने अपनी गति की दिशा बदल दी है। जब इतने मूलभूत परमाणु आपस में संवाद रखते है तो उनसे बनी दुनिया भी निश्चित ही आपस में संवाद रखती होगी। क्यों आपको अचानक कोई चीज अच्छी लगने लगती है, क्यों किसी से अचानक प्यार हो जाता। मेरे विचार से ना केवल हम सब आपस में सम्बन्ध रखते हैं, बल्कि कोई बाहरी शक्ति भी है जो हमे आपस में जोड़े रखती है। मेरा कुंडली की विधा में काफी रूचि है । इस विधा के अध्यन में मैंने ये पाया की कुण्डलियाँ निश्चित ही होती है और प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य पूर्व निर्धारित होता है। अब प्रशन ये उठता है की यदि सब कुछ पूर्व निर्धारित है तो कर्म का क्या औचित्य है। मेरे विचार से ये सिर्फ़ अहंकार को संतुष्ट करने का तरीका है। ताकि दुनिया संचालित होती रहे और आपको ये न लगे की सब कुछ यदि निश्चित है तो कर्म क्यों किया जाए .अगर आप कर्म नही करेंगे तो निशचय ही दुनिया रुक जायेगी.इसीलिए आप के मष्तिष्क में अहंकार भर दिया गया की आपको ये लगे की आप इस दुनिया को संचालित कर रहे हैं. ये सिर्फ़ प्रतीति मात्र है की ये चीजें मेरे करने से हो रही है। आपके इस बियोलोजिकल शरीर में आपका दिमाग सिर्फ़ आपका विचार ऊर्जा को पदार्थ उर्जा में परिवर्तित करने का एक मात्र साधन है इस सृष्टि में फैले विचारों को वो पढता है और उन्हें नए अविष्कारों के मध्यम से पदार्थ में परिवर्तित कर देता है। इतिहास गवाह है की नयी नयी खोजें सिर्फ़ एक विचार से हुई हैं। ये विचार ही हैं जो किसी को हिटलर और किसी को गाँधी बनते हैं, जबकि सभी जीव विज्ञानं की दृष्टि से बराबर हाथ पैर और आंख नाक मुह वाले थे। अन्तर था तो सिर्फ़ उनके विचारों का। इसी क्रम में आगे बढ़ने पर ये प्रश्न उठा है की क्या आप किसी विचार के द्बारा कोई निर्णय लेने में समर्थ हैं। क्या आपको चयन की स्वतंत्रता है... मेरा मतलब की यदि आप I.A.S. बनने का निर्णय लेते हैं तो क्या आप I.A.S. बन सकते हैं मेरा जवाब है नही। यदि आप के कुंडली में I.A.S. बनना नही लिखा है तो आप कभी I.A.S. नही बन सकते क्योंकि आपके विचार कभी ऐसे बन ही नही पायेंगे। कभी आप कोसांसारिक चीजें परेशान करेंगी तो कभी आप का ध्यान कही और चला जाएगा और आप लाख प्रयत्नों के बाद भी अपने चयन को पाने के लिए स्वतंत्र नही होंगे। लेकिन जब आपकी कुंडली में I.A.S.बनना लिखा होगा तो आप अचानक निर्णय ले लेंगे और सारी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने निर्णय को पा लेंगे। क्योंकि आपका दिमाग उस समय सिर्फ़ और सिर्फ़ I.A.S. से सम्बंधित विचारों को ही ग्रहण करेगा। आपका संपूर्ण व्यक्तित्व आपके विचारों से ही बनता है। आज तक शायद ही किसी बाप ने अपने बेटे से कहा होगा की बेटा तुम बड़े होकर चोर या डाकू बनना हर माता पिता अपने बच्चे को बहुत होनहार बनाना चाहता है फ़िर भी इस दुनिया में चोर डाकू हैं .जब किसी व्यक्ति ने चोर या डाकू बन ने का निर्णय नही लिया तो फ़िर ये लोग आए कहाँ से। ये हमारे चयन की स्वतन्त्रता नही है, चोर बनने का निर्णय हमारा नही था जो सिद्ध करता है की कुछ चीजें इस दुनिया में हमारे निर्णय के विपरीत भी आती हैं। हर एक व्यक्ति का भविष्य और जीवन पथ निर्धारित है और वो उसी के अनुसार निर्णय लेता है। और फ़िर अपनी नियति को पहुँच जाता है। यदि आप अपनी नियति से संघर्ष करेंगे तो जीवन भर परेशान रहेंगे और यदि उसे स्वीकार कर लेंगे तो आजीवन सुखी रहेंगे। किंतु ये अहंकार हमें निरंतर संघर्ष कराता रहता है और हम अपनी नियति से इतर बन्ने की चेष्टा करते रहते हैं उसे स्वीकार नही करते यही हमारे दुखों का कारण हैं। नीम का पेड़ आजीवन नीम ही रहेगा ,वो लाख चेष्टा कर ले। सूरज चाँद सब किसी न किसी अनुशाषान से बंधे हैं । आप अपने जीवन को बिल्कुल भी बदल नही सकते हाँ इसके काल चक्र का आनद उठा सकते हैं।और आप निश्चित ही माने की इस दुनिया को आपकी भी बहुत जरुरत है अगर आप न होते तो ये दुनिया अधूरी होती। ये विचार मैं आप तक क्यों पहुँचा रहा हूँ मुझे ख़ुद नही मालूम लेकिन ये जरूर है की सृष्टि के इस प्रोसेस में मैं अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी के साथ निभा रहा हूँ। तो आप भी जिंदगी का मजा उठाइए और इस सृष्टि में अपनी भूमिका पुरी ईमानदारी से निभाइए। ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

TIME TRAVEL

प्रकाश और विचार