TIME TRAVEL



समय बड़ी चमत्कारी चीज है अगर आप इसे गौर से देखें और इसे महसूस करना चाहें .आपका एक घंटा हमारे एक घंटे से अलग हो सकता है. गीता में वर्णित काल और आकाश को हम टाइम और स्पेस से सम्बंधित कर सकते हैं.जिसमे हमारे टाइम और ब्रह्मा जी के टाइम के अंतर को दिखाया गया है.और कृष्ण भगवान को टाइम और स्पेस से परे बताया गया है.जो कि अविनाशी और अनश्वर हैं. लेकिन जो भी चीज टाइम और स्पेस से सम्बंधित है वो सब नश्वर है. हम सब भी कहीं न कहीं टाइम और स्पेस से बंधे हुए हैं और हम सब नश्वर हैं. गीता के अनुसार तो ब्रह्मा जी भी नश्वर हैं क्योंकि वो भी टाइम और स्पेस से बंधे हुए हैं. वो भी एक दिन ख़त्म हो जायेंगे बस अंतर इतना है की उनका टाइम हमारे लाखों दिन के बराबर होता है इस लिए उनकी मृत्यु देखने के लिए शायद हम जीवित न बचे. ये सच है कि हमारा ब्रह्माण्ड भी बड़ी तेजी से घूम रहा है और भौतिकी के नियम के अनुसार किसी भी वृत्त में बाहरी गोला भीतरी गोले की तुलना में तेजी से घूमता है, इस लिहाज से बाहरी ब्रह्माण्ड हमारे आन्तरिक ब्रह्माण्ड की तुलना में तेजी से घूम रहा है जहाँ की स्पीड लाइट की स्पीड के बराबर है. और वहां का समय हमारे समय कि तुलना में काफी धीमी गति से चल रहा है. वहां का एक दिन हमारे ३६५ दिन या फिर एक साल के बराबर होता है. इस को ग्राफ में आप देख सकते हैं. अब बात आती है कि क्या हम उस काल में, उस स्पेस में जा सकते हैं ,क्या हम भी ब्रह्मा जी से मिल सकते हैं.तो इस प्रश्न का जवाब है कि कि हाँ.!

हम भी उस काल और उस जगह में जा सकते हैं. भौतिकी के नियम को पुनः लगाते हुए हम ये भी जानते हैं कि किसी भी वृत्त के केंद्र से गुजरने वाली एक रेखा ऐसी होती है जिस पर उस वृत्त के घूमने का कोई असर नहीं पड़ता है. यानि इस घूमते हुए ब्रह्माण्ड में कोई एक ऐसी रेखा भी है जहाँ पर इस ब्रह्माण्ड के घुमने का कोई असर नहीं हो रहा है. यानी वहां पर टाइम और स्पेस एक सामान है. उस रास्ते पर अगर आप आगे बढे तो आप किसी भी काल में भ्रमण कर सकते हैं. बिना टाइम और स्पेस से प्रभावित हुए बिना.
आप इस ग्राफ से अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि हमारा टाइम किसी वृत्त के आधार पर निर्भर करता है .जैसे जैसे हम इस वृत्त से बाहर की ओर चलेंगे हमारा समय धीमा होने लगेगा.यानी बाहरी वृत्त पर बिताये गए एक साल, आतंरिक वृत्त पर बिताये गए कई हजार साल के बराबर हो सकते हैं. जीवन को गहन अर्थों में समझने के लिए ध्यान ही एक मात्र साधन है.
कल्पना कीजिये कि आज से हजारों सालों पूर्व जब आग का अविष्कार नहीं हुआ था तब क्या होता होगा. आज हम हर चीज से आग पैदा कर सकते हैं तब भी ये स्थिति थी ,लेकिन ज्ञान के अभाव में उस समय के लोग आग से अनभिज्ञ थे. ठीक उसी प्रकार हमें किसी भी चीज के लिए एक उपयुक्त मार्ग खोजना होता है फिर वो चीजें आसान हो जाती हैं.

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